तू चल, मैं हूं .!!

“दादा”,
तुने अपने जुबान से निकाला हुआ पहला शब्द!!

तेरे आनेसे मानो कोई बिगड़ी दरार सिमट गई थी,
तेरे आनेसे मानो मैने अपनी परेशानी घर के चौखट के उस पार रखी थी.!

एक दिन गुस्से में तुझपर हाथ उठाया था,
नाराज था उस दिन में खुदसे और खुदसे कसम खाई थी मैंने फिरसे तुझे न दुखाने की.!

सायकिल थी एक पुरानी मेरी ,
मरम्मत के टाइम चाचा को बोला,
चाचा छोटीसी सीट जरूर लगवाना आगे,
छोटे भाई को दुनिया जो घुमाना है.!

कोई जादू है तेरे में जो तुझे और मुझे एक रखता है,
शायद मैं तुझमे आशा का किरन देखता हूं और तू मुझमे उम्मीद.!

जिंदगी जब आगे बढ़ी तो प्यार कम और आशाये ज्यादा बढ़ी,
आशाये जो तु मुझसे करता था और मै तुझसे,
लेकिन समझ आ गया कि प्यार से बडी कोई आशा नहीं.!

अपना रिश्ता थोड़ा अलग है,
उसे रोज पानी डालने जरूरत नही पड़ती,
वो पानी के तरह बेहता रहता है, बेपरवाह.!!

पहले महीने से लेकर अभी १७ साल तक का काफिला बहुत सही चला,
ये ऐसा ही चलेगा और चलता रहेगा,
सिर्फ एक चीज तेरे लिए भाई, तू चल में हूं..!!

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